कल यूँ ही किसी ने पूछा की बताओ ज़रा कौनसी ऐसी जगह है जहाँ सबसे ज़ादा सुकून मिलता है?
तभी दिल ने बिना सोचे समझे कहा की यह तोह दादी का घर है
वो शहर जहाँ तुम पच्चीस के हो कर भी पांच के ही बन जाते हो
वो शहर जिसमे बचपन की सारी छुट्टियां बितायी थी
वो शहर जहाँ तुम्हे यकीन था की हमेशा तुम्हारे पीछे दादू या चाचू खड़े रहेंगे तोह फिर तुम लूटो मज़े ज़िन्दगी के जितना भी जी करे
वो शहर जहाँ सुबह की शुरुवात गरम गरम जलेबी और दादी के हाथ की पूरी आलू से होती थी
वो शहर जहाँ दिन में चाचू क साथ छुप छुप के लूना पर सवार मेले में झूला झूलने जाते थे
और ठेले पर से पराठे और पानी पूरी का लुफ्त उठाते थे
वहां जहाँ रात होने का बेसब्री से इंतज़ार करते थे क्युकी दादू की कहानियों से झट्ट से गहरी नींद आ जाती थी
वहां कभी डर नहीं रहा की अच्छे नंबर नहीं आये, और हम अच्छा व्यवसाय नहीं बना पाए तोह क्या होगा
वहां कभी जलेबी और कचोरी खाने में हिचक नहीं हुई क्युकी वज़न कम करने की तब किसको पड़ी थी
वहां कभी किसी तीसरे के बारे में सोचना या कोई तुम्हारे प्रति क्या सोचेगा ऐसे खयालो ने परेशान नहीं किया
जब दिन-दिन भर भाई बहिनो के साथ लूडो और छुप्पन छुपाई खेलने में निकल जाता था तब वक़्त का कहाँ ख्याल रहता था
वहां कभी समय की परवाह नहीं की क्युकी हम तोह राजा बेटा थे, कोई दफ्तर के कर्मचारी थोड़ी
शायद इसिलए दिल ने कहा की जहा सबसे ज़ादा सुकून मिलता था वो दादी का घर था, वो दादी का शहर था
Pure Nostalgia 👌👍🏻
ReplyDeleteThank you for reading. :)
Deleteक्या बात है, दिल की बात को शब्दों में मोत्तिओ जैसे पिरोया है
ReplyDeleteLoved it ❤️
Thank you so much. Glad you liked it. <3
DeleteBeautiful :)
ReplyDeleteThank you. :)
Deleteअद्भुत , अद्वितीय ।
ReplyDeleteThank you for reading it and complimenting with such beautiful words. :)
DeleteSo relatable....I just went into the memory lane :)
ReplyDelete